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"युग की गंगा / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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'''कविता अंश'''
 
'''कविता अंश'''

23:41, 8 मार्च 2021 के समय का अवतरण

कविता अंश
युग की गंगा
पाषाणों पर दोडे़गी ही
लम्बी , ऊंची
सब प्राचीन डुबायेगी ही
नयी बस्तियाँ
शान्ति निकेतन
नव संसार बसायेगी ही