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"इतिहास / राकेश प्रियदर्शी" के अवतरणों में अंतर
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सदियों से उस बंजर जमीं पर | सदियों से उस बंजर जमीं पर | ||
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पानी, खाद डालने के बदले | पानी, खाद डालने के बदले | ||
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राख, बालू और पत्थर डाला गया, | राख, बालू और पत्थर डाला गया, | ||
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बन गया वह विशाल, शांत पहाड़ | बन गया वह विशाल, शांत पहाड़ | ||
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सैकड़ों वर्षों से वह सूरज की | सैकड़ों वर्षों से वह सूरज की | ||
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साजिश का शिकार रहा, | साजिश का शिकार रहा, | ||
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अंधेरे में तड़पता, घुटता रहा, | अंधेरे में तड़पता, घुटता रहा, | ||
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सैकड़ों वर्षों से उस शांत पहाड़ में | सैकड़ों वर्षों से उस शांत पहाड़ में | ||
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अरबों टन आग का गोला जमा है | अरबों टन आग का गोला जमा है | ||
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रोशनी में रहनेवालों | रोशनी में रहनेवालों | ||
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उस अंधेरे में रोशनी जाने दो, | उस अंधेरे में रोशनी जाने दो, | ||
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नहीं तो सदियों से मौन रहता आया | नहीं तो सदियों से मौन रहता आया | ||
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वह ज्वालामुखी मुखर विस्फोट कर जायेगा | वह ज्वालामुखी मुखर विस्फोट कर जायेगा | ||
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अपनी आग से जला जायेगा | अपनी आग से जला जायेगा | ||
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सदियों की शांति जब भंग होती है | सदियों की शांति जब भंग होती है | ||
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तो आकाश के पृष्ठ पर भी क्रान्ति | तो आकाश के पृष्ठ पर भी क्रान्ति | ||
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का इतिहास बना जाती है</poem> | का इतिहास बना जाती है</poem> |
20:05, 24 मई 2011 के समय का अवतरण
सदियों से उस बंजर जमीं पर
पानी, खाद डालने के बदले
राख, बालू और पत्थर डाला गया,
बन गया वह विशाल, शांत पहाड़
सैकड़ों वर्षों से वह सूरज की
साजिश का शिकार रहा,
अंधेरे में तड़पता, घुटता रहा,
सैकड़ों वर्षों से उस शांत पहाड़ में
अरबों टन आग का गोला जमा है
रोशनी में रहनेवालों
उस अंधेरे में रोशनी जाने दो,
नहीं तो सदियों से मौन रहता आया
वह ज्वालामुखी मुखर विस्फोट कर जायेगा
अपनी आग से जला जायेगा
सदियों की शांति जब भंग होती है
तो आकाश के पृष्ठ पर भी क्रान्ति
का इतिहास बना जाती है