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"प्यार का रंग / नचिकेता" के अवतरणों में अंतर
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मगर प्यार का रंग न बदला | मगर प्यार का रंग न बदला | ||
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अब भी | अब भी | ||
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खिले फूल के अन्दर | खिले फूल के अन्दर | ||
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खुशबू होती है | खुशबू होती है | ||
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गहरी पीड़ा में अक्सर हाँ | गहरी पीड़ा में अक्सर हाँ | ||
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आँखें रोती हैं | आँखें रोती हैं | ||
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कविता बदली, पर | कविता बदली, पर | ||
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लय-छंद-प्रसंग नहीं बदला | लय-छंद-प्रसंग नहीं बदला | ||
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वर्षा होती | वर्षा होती | ||
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आसमान में बादल | आसमान में बादल | ||
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घिरने पर | घिरने पर | ||
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पात बिखर जाते हैं | पात बिखर जाते हैं | ||
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जब भी आता है पतझर | जब भी आता है पतझर | ||
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पर पेड़ों से | पर पेड़ों से | ||
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पत्तों का आसंग नहीं बदला | पत्तों का आसंग नहीं बदला | ||
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हरदम भरने को उड़ान | हरदम भरने को उड़ान | ||
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तत्पर रहती पाँखें | तत्पर रहती पाँखें | ||
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मौसम आने पर | मौसम आने पर | ||
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फूलों से | फूलों से | ||
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लदती हैं शाख़ें | लदती हैं शाख़ें | ||
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बदली हवा | बदली हवा | ||
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सुबह होने का ढंग नहीं बदला | सुबह होने का ढंग नहीं बदला |
17:44, 24 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
दुनिया बदली
मगर प्यार का रंग न बदला
अब भी
खिले फूल के अन्दर
खुशबू होती है
गहरी पीड़ा में अक्सर हाँ
आँखें रोती हैं
कविता बदली, पर
लय-छंद-प्रसंग नहीं बदला
वर्षा होती
आसमान में बादल
घिरने पर
पात बिखर जाते हैं
जब भी आता है पतझर
पर पेड़ों से
पत्तों का आसंग नहीं बदला
हरदम भरने को उड़ान
तत्पर रहती पाँखें
मौसम आने पर
फूलों से
लदती हैं शाख़ें
बदली हवा
सुबह होने का ढंग नहीं बदला