भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अकेलापन / रेखा राजवंशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेखा राजवंशी }} {{KKCatKavita}} <poem> अब बड़ा घर है अच्छा फर्…) |
|||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=रेखा राजवंशी | |रचनाकार=रेखा राजवंशी | ||
+ | |संग्रह=अनुभूति के गुलमोहर / रेखा राजवंशी | ||
}} | }} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} |
19:33, 17 जुलाई 2012 के समय का अवतरण
अब बड़ा घर है
अच्छा फर्नीचर है ।
एल०सी०डी० टी०वी० है
पूल है, कारें हैं
बच्चे अच्छे स्कूल में हैं
सुख-सामान सारे हैं ।
वीकेंड में होती है पार्टी
ड्रिंक और डाँस का
बंदोबस्त होता है
अपनी उपलब्धि बखानने में
हर कोई व्यस्त होता है ।
पर कहीं अचानक
एक व्यक्ति शराब के नशे में
रोने लगता है
अपने गाँव, अपने परिवार
से बिछुड़ने का दर्द
ढोने लगता है ।
पार्टी में जैसे
सन्नाटा छा जाता है
और सबको
अपना ग़म याद
आ जाता है ।
रात बियर की बोतल-सी
खाली हो जाती है
मुँह से निकली हर बात
ग़ाली हो जाती है
और मौसम बदल जाता है
कंगारूओं के देश में ।