भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दोपहर / नचिकेता" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: 24 अप्रैल 2006 {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नचिकेता }} Category:गीत खोले पर आ गई दुपहरी हवा ...)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|रचनाकार=नचिकेता
 
|रचनाकार=नचिकेता
 
}}
 
}}
[[Category:गीत]]
+
{{KKCatNavgeet}}
  
  

17:43, 24 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

24 अप्रैल 2006


खोले पर आ गई दुपहरी


हवा चुभौती तेज़ सुई-सी

चकमक-चकमक धूप रुई-सी

फैली चारों ओर घास पर

डाल मसहरी


अलसाये-से पत्ते डोले

भेद थकन का मौसम खोले

कुतर रही पेड़ों की छाया

शांत गिलहरी


कमरतोड़ मेहनत को लादे

उभर रही रोटी की यादें

जागी भूख अँतड़ियों के

कोने में गहरी


आँखें की पुतली में ठनके

कोमल सपने जन-गण-मन के

चमक रही हर ओर मनुज की

जीत सुनहरी