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"गुफ़ा / कुमार अंबुज" के अवतरणों में अंतर
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शुरू होता है यहाँ से
भय और अँधेरा
भय और अँधेरे को
भेदने की इच्छा भी
शुरू होती है
यहीं से।
(1987 में रचित)