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"सपना / गोरख पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=स्वर्ग से बिदाई / गोरख पाण्डेय
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सूतन रहलीं सपन एक देखलीं
 
सूतन रहलीं सपन एक देखलीं
 
 
सपन मनभावन हो सखिया,
 
सपन मनभावन हो सखिया,
 
 
फूटलि किरनिया पुरुब असमनवा
 
फूटलि किरनिया पुरुब असमनवा
 
 
उजर घर आँगन हो सखिया,
 
उजर घर आँगन हो सखिया,
 
 
अँखिया के नीरवा भइल खेत सोनवा
 
अँखिया के नीरवा भइल खेत सोनवा
 
 
त खेत भइलें आपन हो सखिया,
 
त खेत भइलें आपन हो सखिया,
 
 
गोसयाँ के लठिया मुरइआ अस तूरलीं
 
गोसयाँ के लठिया मुरइआ अस तूरलीं
 
 
भगवलीं महाजन हो सखिया,
 
भगवलीं महाजन हो सखिया,
 
 
केहू नाहीं ऊँचा नीच केहू के न भय
 
केहू नाहीं ऊँचा नीच केहू के न भय
 
 
नाहीं केहू बा भयावन हो सखिय,
 
नाहीं केहू बा भयावन हो सखिय,
 
 
मेहनति माटी चारों ओर चमकवली
 
मेहनति माटी चारों ओर चमकवली
 
 
ढहल इनरासन हो सखिया,
 
ढहल इनरासन हो सखिया,
 
 
बैरी पैसवा के रजवा मेटवलीं
 
बैरी पैसवा के रजवा मेटवलीं
 
 
मिलल मोर साजन हो सखिया ।
 
मिलल मोर साजन हो सखिया ।
 
  
 
(रचनाकाल : 1979)
 
(रचनाकाल : 1979)
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22:40, 27 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

सूतन रहलीं सपन एक देखलीं
सपन मनभावन हो सखिया,
फूटलि किरनिया पुरुब असमनवा
उजर घर आँगन हो सखिया,
अँखिया के नीरवा भइल खेत सोनवा
त खेत भइलें आपन हो सखिया,
गोसयाँ के लठिया मुरइआ अस तूरलीं
भगवलीं महाजन हो सखिया,
केहू नाहीं ऊँचा नीच केहू के न भय
नाहीं केहू बा भयावन हो सखिय,
मेहनति माटी चारों ओर चमकवली
ढहल इनरासन हो सखिया,
बैरी पैसवा के रजवा मेटवलीं
मिलल मोर साजन हो सखिया ।

(रचनाकाल : 1979)