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"एक से एक बढ़कर चले / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
 
|संग्रह=कुछ और गुलाब  / गुलाब खंडेलवाल
 
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[[category: ग़ज़ल]]
 
<poem>
 
  
एक से एक बढ़कर चले
 
सब लुटे राह में क़ाफ़िले
 
 
प्यार ऐसे ही होता कभी
 
जैसे दीपक से दीपक जले
 
 
एक दिल भी धड़कता रहा
 
चाँदनी के हिँडोलों तले
 
 
कोई आँखें मिलाता नहीं
 
आ गए हम कहाँ दिन ढले!
 
 
तुम अभी तो खिले थे, गुलाब! 
 
रंग दम भर में क्यों उड़ चले!
 
<poem>
 

01:53, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण