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"सिरहाने रात के / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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तकिये के सिरे पर सिर--
 
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उखड़ी हुई नींद में
 
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असंख्य गाँठों को खोलते
 
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अंधेरे में दिखती चीज़ों की
 
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शक्ल को पूरा करते--
 
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खिड़्की से झाँकते तारों
 
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पत्तों को लाते करीब
 
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करवट बदलते
 
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चीज़ों की धड़कनों साँसों को
 
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सुनते--
 
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सिरहाने रात के !
 
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18:04, 1 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

तकिये के सिरे पर सिर--

उखड़ी हुई नींद में
असंख्य गाँठों को खोलते
अंधेरे में दिखती चीज़ों की
शक्ल को पूरा करते--
खिड़्की से झाँकते तारों
पत्तों को लाते करीब
करवट बदलते
चीज़ों की धड़कनों साँसों को
सुनते--

सिरहाने रात के !