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"दिल की तड़प नीलाम हुई है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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आइना ख़ुद ही टूट गया था | आइना ख़ुद ही टूट गया था | ||
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आपने घूँघट भी न उठाया | आपने घूँघट भी न उठाया | ||
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प्यार वहाँ तक जा पहुँचा है | प्यार वहाँ तक जा पहुँचा है | ||
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अब तो, गुलाब! उन आँखों में ही | अब तो, गुलाब! उन आँखों में ही | ||
तुमको सुबह से शाम हुई है | तुमको सुबह से शाम हुई है | ||
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02:02, 23 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
दिल की तड़प नीलाम हुई है
अब ये कहानी आम हुई है
आइना ख़ुद ही टूट गया था
मुफ़्त नज़र बदनाम हुई है
आपने घूँघट भी न उठाया
और ये रात तमाम हुई है
प्यार वहाँ तक जा पहुँचा है
अक्ल जहाँ नाक़ाम हुई है
अब तो, गुलाब! उन आँखों में ही
तुमको सुबह से शाम हुई है