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जगह वही / प्रयाग शुक्ल

1 byte added, 12:33, 1 जनवरी 2009
|संग्रह=यह जो हरा है / प्रयाग शुक्ल
}}
 <Poem>
वही जगह
 
जिसे कहूँ अपनी है ।
 
अपनों की--
 
जगह है ।
 
जँहा जब इच्छा हो
 
बुला सकूँ बीती स्मृतियों को
 
हँसे नहीं कोई ठठाकर
 
उन पर ।
 
जहाँ मैं रहूँ और कोई यह
 
कोशिश करे नहीं
 
तौलने-परखने की
 
क्या मेरी ताकत है,
 
मेरी उस जगह पर !
</poem>
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