Changes

|संग्रह=यह एक दिन है / प्रयाग शुक्ल
}}
 <Poem>
हमें नहीं मालूम था कि हम मिलेंगे एक दिन
 
पर जब मिल जाते हैं लगता है
 
तय था हमारा मिलना । यह कविता केवल मनुष्यों
 
के बारे में नहीं है । हम बैठे रहते हैं गुमसुम
 
कभी भीतर से अशांत । हम यानी मैं कुछ सीढ़ियाँ
 
कुछ पेड़, पहाड़, लड़कियाँ कभी आकाश धूप
 
छत आवाज़ें रात की दिन की ।
 
जब हम सचमुच मिलते हैं
 
लगता है तय था हमारा मिलना ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits