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"यों तो हमेशा मिलते रहे हम, दोनों तरफ़ थी एक-सी उलझन / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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उसने न रुख़ से परदा हटाया, हमने न छोडा हाथ से दामन | उसने न रुख़ से परदा हटाया, हमने न छोडा हाथ से दामन | ||
− | कोई तो और भी | + | कोई तो और भी आइने में था, साथ रहा हरदम जो हमारे |
जब भी उठायी आँख तो देखी हमने उसीकी प्यार की चितवन | जब भी उठायी आँख तो देखी हमने उसीकी प्यार की चितवन | ||
02:23, 23 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
यों तो हमेशा मिलते रहे हम, दोनों तरफ़ थी एक-सी उलझन
उसने न रुख़ से परदा हटाया, हमने न छोडा हाथ से दामन
कोई तो और भी आइने में था, साथ रहा हरदम जो हमारे
जब भी उठायी आँख तो देखी हमने उसीकी प्यार की चितवन
उम्र की राह जो तै कर आये, आओ उसीसे लौट चलें अब
देखो, यहीं तुम हमको मिले थे, यह है जवानी, यह है लड़कपन
ताब थी क्या लहरों की डुबा दें, नाव को डर तूफ़ान का कब था!
जिनके लिए हम मौत से जूझे, ख़ुद वे किनारे ही हुए दुश्मन
रूप की हर चितवन में बसे हम, प्यार की हर धड़कन है हमारी
किसको गुलाब का रंग न भाया, किसमें नहीं काँटों की है कसकन!