भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ठंडी ठंडी फुहार चेहरे पर / गणेश गम्भीर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गणेश गम्भीर |संग्रह= }} {{KKCatGazal}} <Poem> ठंडी ठंडी फुहार च…)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
{{KKCatGazal}}
+
{{KKCatGhazal}}
 
<Poem>
 
<Poem>
 
ठंडी ठंडी फुहार चेहरे पर
 
ठंडी ठंडी फुहार चेहरे पर
पंक्ति 19: पंक्ति 19:
  
 
आज गम्भीर लिख ही डालेगा ,
 
आज गम्भीर लिख ही डालेगा ,
अपने सरे विचार चेहरे पर !
+
अपने सारे विचार चेहरे पर !
 
</poem>
 
</poem>

12:47, 14 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

ठंडी ठंडी फुहार चेहरे पर
आ गयी है बहार चेहरे पर

एक संदेह सर उठता है ,
रंग आये हजार चेहरे पर !

झुर्रिया चादर है फूलो की ,
बन गयी एक मजार चेहरे पर

लाश पाई गयी सुधारो की,
दाग थे बेशुमार चेहरे पर!

आज गम्भीर लिख ही डालेगा ,
अपने सारे विचार चेहरे पर !