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"अच्छा आदमी / सुरेश यादव" के अवतरणों में अंतर

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तुमने मुझे अच्छा आदमी कहा
शुभ-चिन्तकों से
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थरथराती
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ओस की बूँद-सा !
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तुमने
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मुझे 'अच्छा आदमी' कहा
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मैं सिहर उठा
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डाल से टूटे
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कोट में टंक रहे उस फूल-सा,
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जो किसी को अच्छा लगा था।
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'अच्छा आदमी' फिर कहा,
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तुमने मुझे
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और मैं भयभीत हो गया हूँ
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भेड़ियों के बीच मेमने-सा
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जंगल में जैसे घिर गया हूँ।
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'अच्छा आदमी' जब-जब कोई कहता है
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बहुत डर लगता है।
  
  
 
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21:38, 19 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


तुमने मुझे अच्छा आदमी कहा
मैं, काँप गया
हिलती हुई पत्ती पर
थरथराती
ओस की बूँद-सा !
तुमने
मुझे 'अच्छा आदमी' कहा
मैं सिहर उठा
डाल से टूटे
कोट में टंक रहे उस फूल-सा,
जो किसी को अच्छा लगा था।
'अच्छा आदमी' फिर कहा,
तुमने मुझे
और मैं भयभीत हो गया हूँ
भेड़ियों के बीच मेमने-सा
जंगल में जैसे घिर गया हूँ।
'अच्छा आदमी' जब-जब कोई कहता है
बहुत डर लगता है।