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"बरसों हे अंबर के दानी/ गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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− | |संग्रह=हम तो गाकर मुक्त हुए / गुलाब खंडेलवाल
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− | [[Category:गीत]]
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− | बरसों हे अंबर के दानी
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− | तुम बरसो तो जीवन बरसे, सरसें तरसे प्राणी
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− | उथलें ताल, नदी-नद उमड़ें, टपकें छप्पर-छानी
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− | सूखे पेड़ हरे हों फिर से, पाकर नयी जवानी
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− | तोरण-बंदनवार सजाकर भूमि करे अगवानी
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− | मन भीजे, घर-आँगन भीजे, भीजे चूनर धानी
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− | कभी लुटाते आओ मोती, कभी बहाते पानी
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− | कभी बरस लो आँसू बनकर, रोये राधा रानी
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− | नाचा किया मोर जंगल में, प्रीति किसीने जानी!
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− | अब जानी जब घर-घर गूँजी 'पिहू-पिहू' की वाणी
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− | झूम-झूम, झुक-झुककर बरसो, ख़ूब करो मनमानी
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− | फिर लहरों पर चले उछलती, मेरी नाव पुरानी
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− | बरसों हे अंबर के दानी!
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− | तुम बरसो तो जीवन बरसे, सरसें तरसे प्राणी
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− | <poem>
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03:32, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण