भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"फुटपाथ पर बैठ्यै बाप रा सुपना / जितेन्द्र सोनी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जितेन्द्र सोनी |संग्रह= }} [[Category:मूल राजस्थानी भाष…)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=जितेन्द्र सोनी  
 
|रचनाकार=जितेन्द्र सोनी  
|संग्रह=
+
|संग्रह=थार-सप्तक-6 / ओम पुरोहित ‘कागद’
 
}}
 
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
 
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 +
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
<Poem>
 
<Poem>
 
 
सड़क बिचाळै
 
सड़क बिचाळै
 
फुटपाथ पर बैठ्यै
 
फुटपाथ पर बैठ्यै

21:51, 27 जून 2017 के समय का अवतरण

सड़क बिचाळै
फुटपाथ पर बैठ्यै
बाप रा सुपना
होग्या ईंट रा,
सिमटगी सोच
एक कमरै मांय।
एक कमरो बण्यां पाछै
नीं दिखै
कमरै रै बा'र स्यूं
फाट्योड़ा गाबां मांय
लगोलग जुवान होंवती
बीं री तीन छोरियां,
नीं दिखैला
बै सारा
पाणी स्यूं
पेट नै स्हारो देंवता।
छात अर भींतां
छुपा सकै
बां रा कई दुख,
ऐ बातां
कदै ई नीं जाणै
महलां मांय रैवण वाळा।
च्यार दीवारां अर
छात री कीमत
जाणै है
आसमान री छात तळै
फगत एक
बूढो बाप।