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"कालागढ़ कि यादों के नाम / आदिल रशीद" के अवतरणों में अंतर
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− | kalagarh ki yadon ke naam ek kavita /aadil rasheed
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− | कालागढ़ कि यादों के नाम एक आज़ाद हिंदी कविता /आदिल रशीद
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− | यादो के रंगों को कभी देखा है तुमने
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− | कितने गहरे होते हैं
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− | कभी न छूटने वाले
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− | कपडे पर रक्त के निशान के जैसे
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− | मुद्दतों बाद आज आया हूँ मैं
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− | इन कालागढ़ की उजड़ी बर्बाद वादियों में
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− | जो कभी स्वर्ग से कहीं अधिक थीं
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− | जाति धर्म के झंझटों से दूर
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− | सोहार्द सदभावना प्रेम की पावन रामगंगा
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− | तीन बेटियों और एक बेटे का पिता हूँ मैं आज
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− | परन्तु इस वादी मे आकर
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− | ये क्या हो गया
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− | कौन सा जादू है
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− | वही पगडंडी जिस पर कभी
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− | बस्ता डाले कमज़ोर कन्धों पर
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− | जूते के फीते खुले खुले से
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− | बाल सर के भीगे भीगे से
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− | स्कूल की तरफ भागता ,
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− | वापसी मे
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− | सुकासोत की ठंडी रेट पर
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− | जूते गले में डाले
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− | नंगे पैरों पर वो ठंडी रेत का स्पर्श
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− | सुरमई धुप मे
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− | आवारा घोड़ों
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− | और कभी कभी गधों को
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− | हरी पत्तियों का लालच देकर पकड़ता
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− | और उन पर सवारी करता
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− | अपने गिरोह के साथ डाकू गब्बर सिंह
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− | रातों को क्लब की
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− | नंगी ज़मीन पर बैठ फिल्मे देखता
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− | शरद ऋतू में रामलीला में
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− | वानर सेना कभी कभी
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− | मजबूरी में बे मन से बना
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− | रावण सेना का एक नन्हा सिपाही
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− | और ख़ुशी ख़ुशी रावण की हड्डीया लेकर
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− | भागता बचपन मिल गया
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− | आज मुद्दतों पहले
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− | खोया हुआ
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− | चाँद मिल गया
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− | '''आदिल रशीद उर्फ़ चाँद
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− | C-824 work charge colony kalagarh'''
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02:08, 6 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
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