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"जीवन है तो... / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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मेरे भैया
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मेरे मनुआं
 
जीवन है तो
 
जीवन है तो
जीवन-भर पड़ता है तपना
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जीवन-भर  
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पड़ता है तपना
  
हाड़-मांस की
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जीवन-पंछी
देह निराली
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बात न माने
रहती हरदम
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चंचल कितना-
बजती थाली
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नभ को ताने
क्या है पाया
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क्या है खोया
+
कभी नाप पाया क्या नपना !
+
  
मनुवा पंछी
+
इसे सिखा तू
बात न माने
+
तिरना-उड़ना
चंचल कितना
+
और दिखा तू
सब जग जाने
+
सुन्दर सपना  
कभी डूबता
+
कभी तैरता
+
खुली आंख से देखे सपना!
+
  
एक तंबूरा
+
नदिया जैसी
सरगम बोले
+
चाल निराली
हरी नाम के
+
भरी हुई है
सब रस घोले
+
या है खाली
आओ बैठो
+
 
जानो-समझो
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कितनी उथली
कर लो जी निर्मल मन अपना
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कितनी गहरी
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तू ही नापे
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तू ही नपना
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उम्र तम्बूरा
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तार न बोले  
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ठीक लगें सुर
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तो मुँह खोले
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बिन गुरुवर के
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जाने कैसे
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क्या कुछ भीतर
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क्या कुछ अपना  
 
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09:07, 18 मार्च 2012 के समय का अवतरण

मेरे मनुआं
जीवन है तो
जीवन-भर
पड़ता है तपना

जीवन-पंछी
बात न माने
चंचल कितना-
नभ को ताने

इसे सिखा तू
तिरना-उड़ना
और दिखा तू
सुन्दर सपना

नदिया जैसी
चाल निराली
भरी हुई है
या है खाली

कितनी उथली
कितनी गहरी
तू ही नापे
तू ही नपना

उम्र तम्बूरा
तार न बोले
ठीक लगें सुर
तो मुँह खोले

बिन गुरुवर के
जाने कैसे
क्या कुछ भीतर
क्या कुछ अपना