"हिलाओ पूँछ तो करता है प्यार अमरीका / बल्ली सिंह चीमा" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बल्ली सिंह चीमा |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> हिलाओ पूँछ त…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) छो ("हिलाओ पूँछ तो करता है प्यार अमरीका / बल्ली सिंह चीमा" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
हिलाओ पूँछ तो करता है प्यार अमरीका । | हिलाओ पूँछ तो करता है प्यार अमरीका । | ||
झुकाओ सिर को तो देगा उधार अमरीका । | झुकाओ सिर को तो देगा उधार अमरीका । | ||
− | बड़ी | + | बड़ी हसीन हो बाज़ारियत को अपनाओ, |
तुम्हारे हुस्न को देगा निखार अमरीका । | तुम्हारे हुस्न को देगा निखार अमरीका । | ||
21:29, 19 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
हिलाओ पूँछ तो करता है प्यार अमरीका ।
झुकाओ सिर को तो देगा उधार अमरीका ।
बड़ी हसीन हो बाज़ारियत को अपनाओ,
तुम्हारे हुस्न को देगा निखार अमरीका ।
बराबरी की या रोटी की बात मत करना,
समाजवाद से खाता है ख़ार अमरीका ।
आतंकवाद बताता है जनसंघर्षों को,
मुशर्रफ़ों से तो करता है प्यार अमरीका ।
ये लोकतंत्र बहाली तो इक तमाशा है,
बना हुआ है हक़ीक़त में ज़ार अमरीका ।
विरोधियों को तो लेता है आड़े हाथों वह,
पर मिट्ठूओं पे करे जाँ निसार अमरीका ।
प्रचण्ड क्रान्ति का योद्धा या उग्रवादी है,
सच्चाई क्या है करेगा विचार अमरीका ।
तेरे वुजूद से दुनिया को बहुत ख़तरा है,
यह बात बोल के करता है वार अमरीका ।
स्वाभिमान गँवाकर उदार हाथों से,
जो एक माँगो तो देता है चार अमरीका ।
हरेक देश को निर्देश रोज़ देता है,
ख़ुदा कहो या कहो थानेदार अमरीका ।