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"पत्थर और सीमेंट / रवि प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

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विस्थापित हो रही है !</poem>

15:30, 7 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

इन पेड़ों को ,

जकड दिया गया है

पत्थरों और सीमेंटों से

जबकी शर्तें लगीं हैं विकास की

हमारी हर जरुरत का जवाब उनके पास

पत्थर और सीमेंट हैं !

समझ नहीं पा रहा हूँ, मैंने सवाल क्या किया था ?

लेकिन हमारी हर जरूरत पर पत्थर और सीमेंट

जरुर चढ़ा दिया गया !


पत्थर हमारी सभ्यता की सबसे आदिम अवस्था हैं

तो सीमेंट उसी से पैदा की गयी वर्तमान की

लेकिन फर्क कितना है

एक पत्थर को तराश कर हमने पहिया बनाया था

और तोड़ दी, जड़ता की सारी जंजीरें

और तुमने

हमारी हर जरुरत पर बैठे हुए लोगों

तुमने उसे कूटकर सीमेंट बनाया

और चढ़ा दिया हमारी हर जरुरत पर


तो संदेह है हमें

तुम्हारे द्वारा पैदा की जा रही विकाश की हर परिभाषा पर

क्योंकि उसकी कुक्क्षी में

मैं ,मेरी पहचान और मेरी सभ्यता

विस्थापित हो रही है !