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"समवेत / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर
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हजारोँ हाथोँ ने | हजारोँ हाथोँ ने | ||
किया कागज पर हिसाब | किया कागज पर हिसाब |
16:52, 15 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
सब ने समवेत किया
चमन को नमन
करोड़ोँ हाथोँ ने
उगाई फसलेँ
लाखोँ हाथोँ ने
...किया श्रम
कारखानोँ-खदानोँ मेँ
हजारोँ हाथोँ ने
किया कागज पर हिसाब
फिर सब ने
दुआ मेँ उठाए हाथ
बहबूदी के लिए सबकी
अचानक न जाने कहां से
तुम आ गए
बटोर लिया सब !
करोड़ोँ भूखे पेट
तड़पे-चिल्लाए
तुम मुस्कुरा कर
भीतर चले गए !
निराश लोग
खेतोँ
खदानोँ
कारखानोँ
कागजोँ मेँ लौट आए !
कब तक चलता
यह सिलसिला
लाचार हाथ
अन्न अन्ना अन्न अन्ना
उचारते
मुठ्ठियां तान लौटे हैँ
कहां हो अब तुम ?