भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नियति / दिविक रमेश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिविक रमेश |संग्रह=रास्ते के बीच }} फ़िज़ूल लगता है का...)
 
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=दिविक रमेश
 
|रचनाकार=दिविक रमेश
|संग्रह=रास्ते के बीच
+
|संग्रह=रास्ते के बीच / दिविक रमेश
 
}}
 
}}
  

08:40, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

फ़िज़ूल लगता है

कानून का

आत्महत्याओं पर रोक लगाना ।


या बच गए इन्सान के दिन

बन्द कर देना सीखचों में ।


जबकि

सब एक क्रम में

अपने को मार रहे हैं

धीरे-धीरे ।