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"पात झरे, फिर-फिर होंगे हरे / ठाकुरप्रसाद सिंह" के अवतरणों में अंतर
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पात झरे, फिर-फिर होंगे हरे | पात झरे, फिर-फिर होंगे हरे | ||
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साखू की डाल पर उदासे मन | साखू की डाल पर उदासे मन | ||
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उन्मन का क्या होगा | उन्मन का क्या होगा | ||
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पात-पात पर अंकित चुम्बन | पात-पात पर अंकित चुम्बन | ||
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चुम्बन का क्या होगा | चुम्बन का क्या होगा | ||
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मन-मन पर डाल दिए बन्धन | मन-मन पर डाल दिए बन्धन | ||
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बन्धन का क्या होगा | बन्धन का क्या होगा | ||
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पात झरे, गलियों-गलियों बिखरे | पात झरे, गलियों-गलियों बिखरे | ||
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खुलने दो कलियों की ठिठुरी ये मुट्ठियाँ | खुलने दो कलियों की ठिठुरी ये मुट्ठियाँ | ||
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गगन-नयन फिर-फिर होंगे भरे | गगन-नयन फिर-फिर होंगे भरे | ||
पात झरे, फिर-फिर होंगे हरे | पात झरे, फिर-फिर होंगे हरे | ||
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01:08, 21 नवम्बर 2019 के समय का अवतरण
पात झरे, फिर-फिर होंगे हरे
साखू की डाल पर उदासे मन
उन्मन का क्या होगा
पात-पात पर अंकित चुम्बन
चुम्बन का क्या होगा
मन-मन पर डाल दिए बन्धन
बन्धन का क्या होगा
पात झरे, गलियों-गलियों बिखरे
कोयलें उदास मगर फिर-फिर वे गाएँगी
नए-नए चिन्हों से राहें भर जाएँगी
खुलने दो कलियों की ठिठुरी ये मुट्ठियाँ
माथे पर नई-नई सुबहें मुस्काएँगी
गगन-नयन फिर-फिर होंगे भरे
पात झरे, फिर-फिर होंगे हरे