"शिव / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर
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शिवजी हैं दयाला ललाट चन्द्र का उजाला, | शिवजी हैं दयाला ललाट चन्द्र का उजाला, | ||
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मृगछाल बाघम्बर आसन की, | मृगछाल बाघम्बर आसन की, | ||
छवि छाज रही अहो अपरंपारा | | छवि छाज रही अहो अपरंपारा | | ||
− | बाज रही डमरू कर में, | + | बाज रही डमरू कर में, |
व आवाज भली जग जानत सारा | | व आवाज भली जग जानत सारा | | ||
शिवदीन सदा शिव सहायक है, | शिवदीन सदा शिव सहायक है, | ||
वर दायक दानी वे दाता हमारा | | वर दायक दानी वे दाता हमारा | | ||
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+ | (सवैया छंद ) | ||
+ | शिव शीश पे गंग तरंग सजे शुभ साजत है तेरे जूट जटा | | ||
+ | अहि नाग गले लपटैं झपटैं गन राज चढ़े कैलाश अटा | | ||
+ | भंग के रंग में भूतों के संग में शंकर धन्य उमा की छटा | | ||
+ | शिवदीन सुप्यार सुधा बरषे महादेव लखे नभ माहीं घटा | | ||
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19:57, 13 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
शिवजी हैं दयाला ललाट चन्द्र का उजाला,
हाथ त्रिशूल और भाला, गले सर्पन की माला है |
धोले बैल वाला, पिये भंग हूं का प्याला,
शीश गंग की तरंगे, पाप जारबे की ज्वाला है |
बाघम्बर धारे, नेत्र तीसरा उघारे,
कामदेव को पछारे, शिव शंकर मतवाला है |
कहता शिवदीन लाल, दीनन की करत पाल,
ऐसे शिव दयाल, सत्य देवन में निराला है |
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शिव मस्तक चन्द्र बिराज रह्यो,
अहिराज गले शिर गंग की धारा |
मृगछाल बाघम्बर आसन की,
छवि छाज रही अहो अपरंपारा |
बाज रही डमरू कर में,
व आवाज भली जग जानत सारा |
शिवदीन सदा शिव सहायक है,
वर दायक दानी वे दाता हमारा |
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(सवैया छंद )
शिव शीश पे गंग तरंग सजे शुभ साजत है तेरे जूट जटा |
अहि नाग गले लपटैं झपटैं गन राज चढ़े कैलाश अटा |
भंग के रंग में भूतों के संग में शंकर धन्य उमा की छटा |
शिवदीन सुप्यार सुधा बरषे महादेव लखे नभ माहीं घटा |