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− | + | बन्दहुँ राम जो पूरण ब्रह्म है, वे ही त्रिलोकी के ईश कहावें। | |
− | + | श्रीगुरु! राह कृपामय हो, हम पे नज़रें गुण को नित गावें॥ | |
− | + | शारद शेष महेश नमो, बलिहारी गणेश हमेश मनावें। | |
− | + | बुद्धि प्रकाश करो घट भीतर, कृष्ण-सुदामा चरित्र बनावें॥ | |
− | + | राम-राम जप बावरे साधन यही विवेक। | |
+ | :::इस साधन की ओट से तर गए भक्त अनेक॥ | ||
+ | परम सनेही राम प्रिय सुप्रिय गुरु महाराज। | ||
+ | :::चरन परहुँ कर जोर कर वन्दहुँ संत समाज॥ | ||
+ | प्रभु चरित्र में चित्त रचे जन्म जन्म यहि काम। | ||
+ | :::भक्ति सदा सतसंग उर कृपा करहुँ श्रीराम॥ | ||
+ | बंदहूँ शंकर-सुत हरखि मंगल मयी महेश। | ||
+ | :::सकल सृष्टि पूजन करे तुमरी सदा गणेश॥ | ||
+ | नमन करत हूँ शारदा सकल गुणन की खान | ||
+ | :::नमहूँ सुकवि पुनि देव सब चरन कमल को ध्यान॥ | ||
+ | प्रभु चरित्र आनन्द अति रुचिकर करहूँ बखान। | ||
+ | :::जाही सुने चित देय नर पावत पद निर्वाण॥ | ||
− | + | लिखूं सुदामा की कथा यथा बुद्धि है मोर। | |
− | + | करहूँ कृपा शिवदीन पर नागर नन्द किशोर॥ | |
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15:14, 22 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
:::वन्दना
बन्दहुँ राम जो पूरण ब्रह्म है, वे ही त्रिलोकी के ईश कहावें।
श्रीगुरु! राह कृपामय हो, हम पे नज़रें गुण को नित गावें॥
शारद शेष महेश नमो, बलिहारी गणेश हमेश मनावें।
बुद्धि प्रकाश करो घट भीतर, कृष्ण-सुदामा चरित्र बनावें॥
राम-राम जप बावरे साधन यही विवेक।
इस साधन की ओट से तर गए भक्त अनेक॥
परम सनेही राम प्रिय सुप्रिय गुरु महाराज।
चरन परहुँ कर जोर कर वन्दहुँ संत समाज॥
प्रभु चरित्र में चित्त रचे जन्म जन्म यहि काम।
भक्ति सदा सतसंग उर कृपा करहुँ श्रीराम॥
बंदहूँ शंकर-सुत हरखि मंगल मयी महेश।
सकल सृष्टि पूजन करे तुमरी सदा गणेश॥
नमन करत हूँ शारदा सकल गुणन की खान
नमहूँ सुकवि पुनि देव सब चरन कमल को ध्यान॥
प्रभु चरित्र आनन्द अति रुचिकर करहूँ बखान।
जाही सुने चित देय नर पावत पद निर्वाण॥
लिखूं सुदामा की कथा यथा बुद्धि है मोर।
करहूँ कृपा शिवदीन पर नागर नन्द किशोर॥