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"श्रम की मंडी / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
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− | बिना काम के | + | बिना काम के |
− | ढीला कालू | + | ढीला कालू |
− | मुट्ठी झरती बालू | + | मुट्ठी- झरती बालू |
तीन दिनों से | तीन दिनों से | ||
− | आटा गीला | + | आटा गीला |
हुआ भूख से | हुआ भूख से | ||
− | बच्चा पीला | + | बच्चा पीला |
− | जो भी देखे | + | जो भी देखे |
घूरे ऐसे | घूरे ऐसे | ||
− | ज्यों शिकार को भालू | + | ज्यों शिकार को भालू |
− | श्रम की मंडी | + | श्रम की मंडी |
− | खड़ा कमेसुर | + | खड़ा कमेसुर |
− | बहुत जल्द | + | बहुत जल्द |
− | बिकने को आतुर | + | बिकने को आतुर |
− | भाव | + | भाव |
− | मजूरी का गिरते ही | + | मजूरी का गिरते ही |
− | पास आ गए लालू | + | पास आ गए लालू |
− | बीन कमेसुर | + | बीन कमेसुर |
− | रहा | + | रहा लकड़ियाँ |
− | + | बाट जोहती | |
− | + | होगी मइया | |
− | भूने जाएंगे | + | भूने जाएंगे |
अलाव में | अलाव में | ||
नई फसल के आलू | नई फसल के आलू | ||
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13:52, 30 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
बिना काम के
ढीला कालू
मुट्ठी- झरती बालू
तीन दिनों से
आटा गीला
हुआ भूख से
बच्चा पीला
जो भी देखे
घूरे ऐसे
ज्यों शिकार को भालू
श्रम की मंडी
खड़ा कमेसुर
बहुत जल्द
बिकने को आतुर
भाव
मजूरी का गिरते ही
पास आ गए लालू
बीन कमेसुर
रहा लकड़ियाँ
बाट जोहती
होगी मइया
भूने जाएंगे
अलाव में
नई फसल के आलू