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"प्रदूषण (हाइकु) / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर

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  यूँ आस का दामन
 
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जब भी मिली
 
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  हमें तो सफ़र में  
 
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  धूप ही मिली
 
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तेज थी आँधी  
 
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सपनों –जैसा
 
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शर्माई लता
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ढूँढती फिरे वस्त्र
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07:54, 28 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

(प्रदूषण)
आसमान में
काले सर्प-सा धुआँ
फन फैलाए

(आस)
छोड़ो ना तुम
 यूँ आस का दामन
 होगा सवेरा

(सफ़र)
जब भी मिली
 हमें तो सफ़र में
 धूप ही मिली

(आँधी )
तेज थी आँधी
टूटा गुलमोहर
सपनों –जैसा

(पतझर)
शर्माई लता
ढूँढती फिरे वस्त्र
पतझर में