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"प्रेम की स्मृतियाँ-1 / येहूदा आमिखाई" के अवतरणों में अंतर
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हम कल्पना नहीं कर सकते | हम कल्पना नहीं कर सकते | ||
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ऐसा हमने कहा | ऐसा हमने कहा | ||
और तब से हम रहते हैं इसी एक छवि के भीतर | और तब से हम रहते हैं इसी एक छवि के भीतर | ||
दिन-ब-दिन | दिन-ब-दिन | ||
− | एक दूसरे से दूर , उस मकान से दूर | + | एक दूसरे से दूर, उस मकान से दूर |
जहाँ हमने वो शब्द कहे | जहाँ हमने वो शब्द कहे | ||
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कोई दर्द नहीं | कोई दर्द नहीं | ||
− | वह तो आता है बाद में ...... | + | वह तो आता है बाद में...... |
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+ | '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : शिरीष कुमार मौर्य''' | ||
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00:12, 12 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण
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छवि
हम कल्पना नहीं कर सकते
कि कैसे हम जिएँगे एक दूसरे के बिना
ऐसा हमने कहा
और तब से हम रहते हैं इसी एक छवि के भीतर
दिन-ब-दिन
एक दूसरे से दूर, उस मकान से दूर
जहाँ हमने वो शब्द कहे
अब जैसे बेहोशी की दवा के असर में होता है
दरवाज़ों का बंद होना और खिड़कियों का खुलना
कोई दर्द नहीं
वह तो आता है बाद में......
अँग्रेज़ी से अनुवाद : शिरीष कुमार मौर्य