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"शिवाष्टक / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

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                     शिवाष्टक
 
                     शिवाष्टक
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सब देवन में महादेव बड़े,  सुर  पूजत  हैं  जग  के  सब  प्राणी |
 
सब देवन में महादेव बड़े,  सुर  पूजत  हैं  जग  के  सब  प्राणी |
 
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||१||
 
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||१||
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शिव सुख करो अघ दुःख हरो, प्रभु आस भरो बरदायक ज्ञानी |
 
शिव सुख करो अघ दुःख हरो, प्रभु आस भरो बरदायक ज्ञानी |
 
चारों ही ओर प्रकाश  सदा शिव, शंभू  दयामय  साधू  अमानी ||  
 
चारों ही ओर प्रकाश  सदा शिव, शंभू  दयामय  साधू  अमानी ||  
 
तव द्वार से प्रेम अपार मिले, सब सार मिले यह सत्य कहानी |  
 
तव द्वार से प्रेम अपार मिले, सब सार मिले यह सत्य कहानी |  
 
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||२||
 
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||२||
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तीनों  ही  ताप  त्रिशूल  हरे, शिव  बाजत  है  डमरू  अगवानी |
 
तीनों  ही  ताप  त्रिशूल  हरे, शिव  बाजत  है  डमरू  अगवानी |
 
भूत पिशाच  दोउ  कर  जोरत,  नृत्य  करे  गुनज्ञान  बखानी ||
 
भूत पिशाच  दोउ  कर  जोरत,  नृत्य  करे  गुनज्ञान  बखानी ||
 
शमशान में ध्यान विभूति चढ़े, शिव तात कथा नहीं कहू से छानी |
 
शमशान में ध्यान विभूति चढ़े, शिव तात कथा नहीं कहू से छानी |
 
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||३||   
 
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||३||   
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मृग छाल बागम्बर साजत है, शिव भाल पे चंद अमी बरसानी |
 
मृग छाल बागम्बर साजत है, शिव भाल पे चंद अमी बरसानी |
 
अनंत अखंड समाधि लगावत, भक्तन के हित  बात ये  ठानी ||
 
अनंत अखंड समाधि लगावत, भक्तन के हित  बात ये  ठानी ||
 
लहर तरंग में  भंग के रंग में, आठों ही  याम रहें  शिव ध्यानी |
 
लहर तरंग में  भंग के रंग में, आठों ही  याम रहें  शिव ध्यानी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||४||     
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मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||४||  
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रावन शीश उतार धरे, शिव होय प्रसन्न दिये  वर ज्ञानी |
 
रावन शीश उतार धरे, शिव होय प्रसन्न दिये  वर ज्ञानी |
 
शिव शंभू कृपा से  दसानन को, वह स्वर्ण की लंका मिली रजधानी ||
 
शिव शंभू कृपा से  दसानन को, वह स्वर्ण की लंका मिली रजधानी ||
 
सुन्दरी  वाम  मिले  सुत  सुभट,  भाई  विभीषण    अमृत  वाणी |
 
सुन्दरी  वाम  मिले  सुत  सुभट,  भाई  विभीषण    अमृत  वाणी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़  सुनो  शिव  शंकर  दानी ||५||
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मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़  सुनो  शिव  शंकर  दानी ||५||
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भक्तन  के  सरताज  त्रिलोचन,  योगी  सदा  शिव  टेक  निभानी |
 
भक्तन  के  सरताज  त्रिलोचन,  योगी  सदा  शिव  टेक  निभानी |
 
संतन  के  हित  में  चित  में, बल  बुद्धि  जगावत  सुरत सायानी ||
 
संतन  के  हित  में  चित  में, बल  बुद्धि  जगावत  सुरत सायानी ||
 
दाता  प्रताप  महा  महिमा, जग  जानत  है  यह  बात  न  छानी |
 
दाता  प्रताप  महा  महिमा, जग  जानत  है  यह  बात  न  छानी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़  सुनो  शिव  शंकर  दानी ||६||  
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मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़  सुनो  शिव  शंकर  दानी ||६||
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भोले  कल्याण करो  सबका, धन  धान  सुता  सुत  दे  सुर ज्ञानी |
 
भोले  कल्याण करो  सबका, धन  धान  सुता  सुत  दे  सुर ज्ञानी |
 
शिव  शरण  परे  की  रखे  लजिया, भंडार  भरे  गुण  वेद  बखानी ||
 
शिव  शरण  परे  की  रखे  लजिया, भंडार  भरे  गुण  वेद  बखानी ||
 
सारद  शेष  दिनेश  मुनीन्द्र, सभी  गुण  गावत  ये  गुण  ज्ञानी |       
 
सारद  शेष  दिनेश  मुनीन्द्र, सभी  गुण  गावत  ये  गुण  ज्ञानी |       
 
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़  सुनो  शिव  शंकर  दानी ||७||
 
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़  सुनो  शिव  शंकर  दानी ||७||
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राम ही राम  रटे  शिव  शंकर,  ध्यान  धरे  निशि  वासर  ध्यानी |
 
राम ही राम  रटे  शिव  शंकर,  ध्यान  धरे  निशि  वासर  ध्यानी |
 
लीला  अनंत  न  अंत  मिले, शिव  संग  रहे  जगदंब    भवानी ||
 
लीला  अनंत  न  अंत  मिले, शिव  संग  रहे  जगदंब    भवानी ||
 
कर  जोरत  है  शिवदीन  निरंतर, शीश  झुकावत सज्जन  प्राणी |
 
कर  जोरत  है  शिवदीन  निरंतर, शीश  झुकावत सज्जन  प्राणी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़  सुनो  शिव  शंकर  दानी ||८||     
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मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़  सुनो  शिव  शंकर  दानी ||८||  
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                   दोहा   
 
                   दोहा   
 
शिव अष्टक पढि प्रेम से, पाठ करे जो कोय |
 
शिव अष्टक पढि प्रेम से, पाठ करे जो कोय |
 
शिवदीन प्रेम भक्ति मिले, हरी का दर्शन होय ||
 
शिवदीन प्रेम भक्ति मिले, हरी का दर्शन होय ||
 
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11:55, 15 दिसम्बर 2012 के समय का अवतरण

                     शिवाष्टक

पारबती सी सती शिव के, सुत सत्य गणेश धुरन्धर ज्ञानी|
कैलाश सा धाम आनंद सदा, शिव सीस जटान में गंग समानी ||
सब देवन में महादेव बड़े, सुर पूजत हैं जग के सब प्राणी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||१||

शिव सुख करो अघ दुःख हरो, प्रभु आस भरो बरदायक ज्ञानी |
चारों ही ओर प्रकाश सदा शिव, शंभू दयामय साधू अमानी ||
तव द्वार से प्रेम अपार मिले, सब सार मिले यह सत्य कहानी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||२||

तीनों ही ताप त्रिशूल हरे, शिव बाजत है डमरू अगवानी |
भूत पिशाच दोउ कर जोरत, नृत्य करे गुनज्ञान बखानी ||
शमशान में ध्यान विभूति चढ़े, शिव तात कथा नहीं कहू से छानी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||३||

मृग छाल बागम्बर साजत है, शिव भाल पे चंद अमी बरसानी |
अनंत अखंड समाधि लगावत, भक्तन के हित बात ये ठानी ||
लहर तरंग में भंग के रंग में, आठों ही याम रहें शिव ध्यानी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ||४||
    
रावन शीश उतार धरे, शिव होय प्रसन्न दिये वर ज्ञानी |
शिव शंभू कृपा से दसानन को, वह स्वर्ण की लंका मिली रजधानी ||
सुन्दरी वाम मिले सुत सुभट, भाई विभीषण अमृत वाणी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिव शंकर दानी ||५||
  
भक्तन के सरताज त्रिलोचन, योगी सदा शिव टेक निभानी |
संतन के हित में चित में, बल बुद्धि जगावत सुरत सायानी ||
दाता प्रताप महा महिमा, जग जानत है यह बात न छानी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिव शंकर दानी ||६||
 
भोले कल्याण करो सबका, धन धान सुता सुत दे सुर ज्ञानी |
शिव शरण परे की रखे लजिया, भंडार भरे गुण वेद बखानी ||
सारद शेष दिनेश मुनीन्द्र, सभी गुण गावत ये गुण ज्ञानी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिव शंकर दानी ||७||

राम ही राम रटे शिव शंकर, ध्यान धरे निशि वासर ध्यानी |
लीला अनंत न अंत मिले, शिव संग रहे जगदंब भवानी ||
कर जोरत है शिवदीन निरंतर, शीश झुकावत सज्जन प्राणी |
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिव शंकर दानी ||८||
    
                  दोहा
शिव अष्टक पढि प्रेम से, पाठ करे जो कोय |
शिवदीन प्रेम भक्ति मिले, हरी का दर्शन होय ||