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"औरत / ब्रेसिदा केवास कौब" के अवतरणों में अंतर

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औरत, तुम्हारी छातियाँ, आपस में धक्का मुश्ती करतीं दो सहेलियां हैं, जब तुम नहाती हो
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औरत, तुम्हारी छातियाँ,  
तुम्हारी आभा का इन्द्रधनुष तुम्हारे पहनी चमड़ी में फिलहाल स्थगित हो गयी है
+
आपस में धक्का मुश्ती करतीं  
तुम्हें एक दफा देखकर कोई तुम्हारे दुखों को नहीं जान पायेगा
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दो सहेलियां हैं,  
नहीं जान पायेगा कि नहाने के टब के नीचे तुम्हारी गाथा की एक ढेड़ पड़ी है
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जब तुम नहाती हो
याद है कल नहाते हुए औचक ही तुम्हारे होठों से एक सीटी निकली थी
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तुम्हारी आभा का इन्द्रधनुष
तुम्हारी वह सीटी एक धागा है, वहां तक के लिए, जिस खूंटी से तुमने अपनी तमाम थकानों को टांग दिया है
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तुम्हारे पहनी चमड़ी में फिलहाल स्थगित हो गयी है
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तुम्हें एक दफा देखकर  
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कोई तुम्हारे दुखों को नहीं जान पायेगा
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तुम्हारी गाथा की एक ढेड़ पड़ी है
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जैसे कोई नटखट बच्चा हो जो तुम्हें लौंड्री में खींचे लिए जा रहा है
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जैसे कोई नटखट बच्चा हो
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जो तुम्हें लौंड्री में खींचे लिए जा रहा है
 
पच्छिम के पेड़ों पर
 
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सूरज एक नवजात बच्चा है जो अपने गर्म आंसू छितराए जा रहा है
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जो अपने गर्म आंसू छितराए जा रहा है
 
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'''अंग्रेजी से अनुवाद : कुणाल सिंह'''  
 
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12:37, 1 जून 2012 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: ब्रेसिदा केवास कौब  » औरत

औरत, तुम्हारी छातियाँ,
आपस में धक्का मुश्ती करतीं
दो सहेलियां हैं,
जब तुम नहाती हो
तुम्हारी आभा का इन्द्रधनुष
तुम्हारे पहनी चमड़ी में फिलहाल स्थगित हो गयी है
तुम्हें एक दफा देखकर
कोई तुम्हारे दुखों को नहीं जान पायेगा
नहीं जान पायेगा कि
नहाने के टब के नीचे
तुम्हारी गाथा की एक ढेड़ पड़ी है
याद है कल नहाते हुए
औचक ही तुम्हारे होठों से
एक सीटी निकली थी
तुम्हारी वह सीटी एक धागा है,
वहां तक के लिए,
जिस खूंटी से तुमने अपनी तमाम
थकानों को टांग दिया है
और हवा
जैसे कोई नटखट बच्चा हो
जो तुम्हें लौंड्री में खींचे लिए जा रहा है
पच्छिम के पेड़ों पर
सूरज एक नवजात बच्चा है
जो अपने गर्म आंसू छितराए जा रहा है
लगातार
अंग्रेजी से अनुवाद : कुणाल सिंह