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"क़तअ़ात / ‘अना’ क़ासमी" के अवतरणों में अंतर

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ये हक़ीकत है ऐ दिले-नादाँ
 
ये हक़ीकत है ऐ दिले-नादाँ
 
तुझको ये मानना भी मुश्किल है
 
तुझको ये मानना भी मुश्किल है
चेहरे इतेन बदल चुका अब तक
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चेहरे इतने बदल चुका अब तक
 
ख़ुद को पहचानना भी मुश्किल है
 
ख़ुद को पहचानना भी मुश्किल है
  

19:02, 1 जून 2012 के समय का अवतरण


ये हक़ीकत है ऐ दिले-नादाँ
तुझको ये मानना भी मुश्किल है
चेहरे इतने बदल चुका अब तक
ख़ुद को पहचानना भी मुश्किल है



फिर नया ज़ख़्म नयी एक ग़ज़ल की सूरत
जैसे मुमताज का ग़म ताजमहल की सूरत
आज भी कितने मसीहा लिये फिरते हैं सलीब
देख मज़दूर के कांधे पे ये हल की सूरत