"विष्णु नागर / परिचय" के अवतरणों में अंतर
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | {{KKRachnakaarParichay | ||
+ | |रचनाकार=विष्णु नागर | ||
+ | }} | ||
+ | |||
'''[[विष्णु नागर]]''' | '''[[विष्णु नागर]]''' | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 31: | ||
==विविध== | ==विविध== | ||
− | कविताओं के अनुवाद अंग्रेज़ी, जर्मन और रूसी भाषाओं में । अनेक | + | कविताओं के अनुवाद अंग्रेज़ी, जर्मन और रूसी भाषाओं में । अनेक [[प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार]] से से विभूषित। |
− | हिन्दी | + | हिन्दी नई दुनिया के सम्पादक। |
13:36, 13 जून 2012 के समय का अवतरण
विषय सूची
जन्म
14 जून 1950 जन्म स्थान भारत
संघर्ष का दौर और बसेरा
दिल्ली के मयूर विहार फेज वन स्थित नवभारत टाइम्स अपार्टमेंट में विष्णु नागर का बसेरा है.
बच्चे बड़े हो गए हैं और नौकरी करते हैं, सो घर पर विष्णु जी और उनकी पत्नी ही रहते हैं. विष्णु नागर का बचपन बेहद मुश्किलों में बीता. पिता के अचानक चले जाने से मां ने ही उन्हें पाला-पोसा और पढ़ाया-लिखाया. नागर साहब को जब पहली नौकरी मिली तो मां को साथ लेकर दिल्ली आ गए. कम पैसे के कारण इतने छोटे से मकान में रहते थे कि इन मां-बेटे को ठीक से सोने में समस्या आती थी. अचानक नौकरी छूटी तो मां के साथ फिर घर चले गए.
दिल्ली प्रेस से हुई शुरुआत लंबी नहीं चली क्योंकि बॉस के तनाव व दबाव को लगातार झेलने की बजाय विष्णु जी ने इस्तीफा देना ज्यादा उचित समझा. फिर शुरू हुआ संघर्ष का दौर. रघुवीर सहाय, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना, राजेंद्र माथुर जैसे दिग्गजों के बीच अपने लेखन व काम से विष्णु नागर जब पहचाने जाने लगे तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. संघर्ष, संवेदनशीलता, सरोकार और कठिन मेहनत की पूंजी के जरिए विष्णु नागर ने धीरे-धीरे पत्रकारिता जगत फिर साहित्य जगत में नाम कमाया.
आम आदमी को अपने सबसे करीब पाने वाले विष्णु नागर 60 की उम्र में रिटायर होने के बाद बहुत कुछ करना चाहते हैं. उनकी तड़प बताती है कि विष्णु नागर उम्र के कारण भले रिटायर हो गए हों लेकिन उनके अंदर का युवा पत्रकार और साहित्यकार अब ज्यादा ऊर्जावान हो चुका है.
कृतियाँ
मैं फिर कहता हूँ चिड़िया / विष्णु नागर (1974) (कविता संग्रह),
तालाब में डूबी छह लड़कियाँ / विष्णु नागर(1981) (कविता संग्रह),
संसार बदल जाएगा / विष्णु नागर(1985) (कविता संग्रह)
आज का दिन (1981) (कहानी संग्रह)
विविध
कविताओं के अनुवाद अंग्रेज़ी, जर्मन और रूसी भाषाओं में । अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से से विभूषित। हिन्दी नई दुनिया के सम्पादक।