भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"खोने को हैं बेताब( हाइकु) /रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Ramadwivedi (चर्चा | योगदान) ('१- ढोती है रात<br> मनुज की पीडाएं<br> भोर की आस |<br><br> २- मुखौट...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
| (इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
| पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
| − | १- ढोती है रात | + | {{KKGlobal}} |
| − | मनुज की पीडाएं | + | {{KKRachna |
| − | भोर की आस | | + | |रचनाकार=रमा द्विवेदी |
| + | |संग्रह= | ||
| + | }}{{KKCatHaiku}} | ||
| + | |||
| + | <poem> | ||
| + | १- ढोती है रात | ||
| + | मनुज की पीडाएं | ||
| + | भोर की आस | | ||
| − | २- मुखौटे लगा | + | २- मुखौटे लगा |
| − | खोने को हैं बेताब | + | खोने को हैं बेताब |
| − | चैटिंग – यार | | + | चैटिंग – यार | |
| − | ३- हैं अनजान | + | ३- हैं अनजान |
| − | अडोस-पड़ोस से | + | अडोस-पड़ोस से |
| − | सर्फिंग -प्यार | | + | सर्फिंग -प्यार | |
| − | ४- ऊषा मुस्काई | + | ४- ऊषा मुस्काई |
| − | भौंरे गुनगुनाए | + | भौंरे गुनगुनाए |
| − | ताजगी आई | | + | ताजगी आई | |
| − | ५- आँगन धूप | + | ५- आँगन धूप |
| − | भागती फिर रही | + | भागती फिर रही |
| − | छत-मुडेर | | + | छत-मुडेर | |
| − | ६- आसमां झुक | + | ६- आसमां झुक |
| − | धरा से कहता ये | + | धरा से कहता ये |
| − | तुझ से ही मैं |< | + | तुझ से ही मैं | |
| + | </poem> | ||
11:03, 22 जून 2012 के समय का अवतरण
१- ढोती है रात
मनुज की पीडाएं
भोर की आस |
२- मुखौटे लगा
खोने को हैं बेताब
चैटिंग – यार |
३- हैं अनजान
अडोस-पड़ोस से
सर्फिंग -प्यार |
४- ऊषा मुस्काई
भौंरे गुनगुनाए
ताजगी आई |
५- आँगन धूप
भागती फिर रही
छत-मुडेर |
६- आसमां झुक
धरा से कहता ये
तुझ से ही मैं |
