"बेटी की किलकारी / ताराप्रकाश जोशी" के अवतरणों में अंतर
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कन्या भ्रूण अगर मारोगे | कन्या भ्रूण अगर मारोगे | ||
− | + | माँ दुर्गा का शाप लगेगा, | |
बेटी की किलकारी के बिन | बेटी की किलकारी के बिन | ||
− | + | आँगन - आँगन नहीं रहेगा । | |
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जिस घर बेटी जन्म न लेती | जिस घर बेटी जन्म न लेती | ||
− | वह घर सभ्य नहीं होता | + | वह घर सभ्य नहीं होता है । |
बेटी के आरतिए के बिन | बेटी के आरतिए के बिन | ||
− | पावन यज्ञ नहीं होता | + | पावन यज्ञ नहीं होता है । |
यज्ञ बिना बादल रूठेंगे | यज्ञ बिना बादल रूठेंगे | ||
− | सूखेगी | + | सूखेगी वर्षा की रिमझिम । |
+ | |||
बेटी की पायल के स्वर बिन | बेटी की पायल के स्वर बिन | ||
− | सावन-सावन नहीं | + | सावन - सावन नहीं रहेगा । |
− | + | आँगन - आँगन नहीं रहेगा । | |
जिस घर बेटी जन्म न लेती | जिस घर बेटी जन्म न लेती | ||
− | उस घर | + | उस घर कलियाँ झर जाती हैं । |
− | + | ख़ुशबू निर्वासित हो जाती | |
− | गोपी गीत नहीं गाती | + | गोपी गीत नहीं गाती है । |
− | गीत बिना | + | गीत बिना वंशी चुप होगी |
− | कान्हा नाच नहीं | + | कान्हा नाच नहीं पाएगा । |
+ | |||
बिन राधा के रास न होगा | बिन राधा के रास न होगा | ||
− | मधुबन-मधुबन नहीं | + | मधुबन - मधुबन नहीं रहेगा । |
− | + | आँगन - आँगन नहीं रहेगा । | |
− | जिस घर बेटी जन्म न लेती | + | जिस घर बेटी जन्म न लेती |
− | उस घर घड़े रीत जाते | + | उस घर घड़े रीत जाते हैं, |
अन्नपूरणा अन्न न देती | अन्नपूरणा अन्न न देती | ||
− | + | दुर्भिक्षों के दिन आते हैं । | |
बिन बेटी के भोर अलूणी | बिन बेटी के भोर अलूणी | ||
− | थका-थका दिन | + | थका-थका दिन साँझ बिहूणी । |
+ | |||
बेटी बिना न रोटी होगी | बेटी बिना न रोटी होगी | ||
− | प्राशन-प्राशन नहीं रहेगा | + | प्राशन - प्राशन नहीं रहेगा । |
− | + | आँगन-आँगन नहीं रहेगा । | |
जिस घर बेटी जन्म न लेती | जिस घर बेटी जन्म न लेती | ||
− | उसको | + | उसको लक्ष्मी कभी न वरती । |
− | भव सागर के | + | भव सागर के भँवर - जाल में |
− | उसकी नौका कभी न | + | उसकी नौका कभी न तरती । |
बेटी की आशीषों में ही | बेटी की आशीषों में ही | ||
− | + | बैकुण्ठों का वासा होता । | |
+ | |||
बेटी के बिन किसी भाल का | बेटी के बिन किसी भाल का | ||
− | + | चन्दन - चन्दन नहीं रहेगा । | |
− | + | आँगन - आँगन नहीं रहेगा। | |
जिस घर बेटी जन्म न लेती | जिस घर बेटी जन्म न लेती | ||
− | + | वहाँ शारदा कभी न आती, | |
बेटी की तुतली बोली बिन | बेटी की तुतली बोली बिन | ||
− | सारी कला विकल हो | + | सारी कला विकल हो जाती, |
बेटी ही सुलझा सकती है, | बेटी ही सुलझा सकती है, | ||
− | माता की उलझी | + | माता की उलझी पहेलियाँ । |
− | बेटी के बिन | + | |
− | + | बेटी के बिन माँ की आँखों | |
− | + | अँजन - अँजन नहीं रहेगा । | |
+ | आँगन - आँगन नहीं रहेगा । | ||
जिस घर बेटी जन्म न लेगी | जिस घर बेटी जन्म न लेगी | ||
− | राखी का त्यौहार न | + | राखी का त्यौहार न होगा, |
− | बिना | + | बिना रक्षाबन्धन भैया का |
− | ममतामय संसार न | + | ममतामय संसार न होगा, |
भाषा का पहला स्वर बेटी | भाषा का पहला स्वर बेटी | ||
− | शब्द-शब्द में आखर | + | शब्द - शब्द में आखर बेटी । |
+ | |||
बिन बेटी के जगत न होगा, | बिन बेटी के जगत न होगा, | ||
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− | + | आँगन - आँगन नहीं रहेगा । | |
जिस घर बेटी जन्म न लेती | जिस घर बेटी जन्म न लेती | ||
− | उसका निष्फल हर | + | उसका निष्फल हर आयोजन, |
सब रिश्ते नीरस हो जाते | सब रिश्ते नीरस हो जाते | ||
− | + | अर्थहीन सारे सम्बोधन, | |
− | मिलना-जुलना आना-जाना | + | मिलना - जुलना, आना - जाना |
− | यह समाज का ताना- | + | यह समाज का ताना-बाना । |
− | बिन बेटी | + | |
− | + | बिन बेटी रूखे अभिवादन | |
− | + | वन्दन - वन्दन नहीं रहेगा । | |
+ | आँगन - आँगन नहीं रहेगा । | ||
+ | </poem> |
17:40, 6 अक्टूबर 2023 के समय का अवतरण
कन्या भ्रूण अगर मारोगे
माँ दुर्गा का शाप लगेगा,
बेटी की किलकारी के बिन
आँगन - आँगन नहीं रहेगा ।
जिस घर बेटी जन्म न लेती
वह घर सभ्य नहीं होता है ।
बेटी के आरतिए के बिन
पावन यज्ञ नहीं होता है ।
यज्ञ बिना बादल रूठेंगे
सूखेगी वर्षा की रिमझिम ।
बेटी की पायल के स्वर बिन
सावन - सावन नहीं रहेगा ।
आँगन - आँगन नहीं रहेगा ।
जिस घर बेटी जन्म न लेती
उस घर कलियाँ झर जाती हैं ।
ख़ुशबू निर्वासित हो जाती
गोपी गीत नहीं गाती है ।
गीत बिना वंशी चुप होगी
कान्हा नाच नहीं पाएगा ।
बिन राधा के रास न होगा
मधुबन - मधुबन नहीं रहेगा ।
आँगन - आँगन नहीं रहेगा ।
जिस घर बेटी जन्म न लेती
उस घर घड़े रीत जाते हैं,
अन्नपूरणा अन्न न देती
दुर्भिक्षों के दिन आते हैं ।
बिन बेटी के भोर अलूणी
थका-थका दिन साँझ बिहूणी ।
बेटी बिना न रोटी होगी
प्राशन - प्राशन नहीं रहेगा ।
आँगन-आँगन नहीं रहेगा ।
जिस घर बेटी जन्म न लेती
उसको लक्ष्मी कभी न वरती ।
भव सागर के भँवर - जाल में
उसकी नौका कभी न तरती ।
बेटी की आशीषों में ही
बैकुण्ठों का वासा होता ।
बेटी के बिन किसी भाल का
चन्दन - चन्दन नहीं रहेगा ।
आँगन - आँगन नहीं रहेगा।
जिस घर बेटी जन्म न लेती
वहाँ शारदा कभी न आती,
बेटी की तुतली बोली बिन
सारी कला विकल हो जाती,
बेटी ही सुलझा सकती है,
माता की उलझी पहेलियाँ ।
बेटी के बिन माँ की आँखों
अँजन - अँजन नहीं रहेगा ।
आँगन - आँगन नहीं रहेगा ।
जिस घर बेटी जन्म न लेगी
राखी का त्यौहार न होगा,
बिना रक्षाबन्धन भैया का
ममतामय संसार न होगा,
भाषा का पहला स्वर बेटी
शब्द - शब्द में आखर बेटी ।
बिन बेटी के जगत न होगा,
सजन - सजन नहीं रहेगा ।
आँगन - आँगन नहीं रहेगा ।
जिस घर बेटी जन्म न लेती
उसका निष्फल हर आयोजन,
सब रिश्ते नीरस हो जाते
अर्थहीन सारे सम्बोधन,
मिलना - जुलना, आना - जाना
यह समाज का ताना-बाना ।
बिन बेटी रूखे अभिवादन
वन्दन - वन्दन नहीं रहेगा ।
आँगन - आँगन नहीं रहेगा ।