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"मोहन केसे हो तुम दानी / सूरदास" के अवतरणों में अंतर

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मोहन केसे हो तुम दानी।
 
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सूधे रहो गहो अपनी पति तुमारे जिय की जानी॥
 
सूधे रहो गहो अपनी पति तुमारे जिय की जानी॥
 
 
हम गूजरि गमारि नारि हे तुम हो सारंगपानी।
 
हम गूजरि गमारि नारि हे तुम हो सारंगपानी।
 
 
मटुकी लई उतारि सीसते सुंदर अधिक लजानी ॥
 
मटुकी लई उतारि सीसते सुंदर अधिक लजानी ॥
 
 
कर गहि चीर कहा खेंचत हो बोलत चतुर सयानि।
 
कर गहि चीर कहा खेंचत हो बोलत चतुर सयानि।
 
 
सूरदास प्रभु माखन के मिस प्रेम प्रीति चित ठानी॥
 
सूरदास प्रभु माखन के मिस प्रेम प्रीति चित ठानी॥
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16:05, 24 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

मोहन केसे हो तुम दानी।
सूधे रहो गहो अपनी पति तुमारे जिय की जानी॥
हम गूजरि गमारि नारि हे तुम हो सारंगपानी।
मटुकी लई उतारि सीसते सुंदर अधिक लजानी ॥
कर गहि चीर कहा खेंचत हो बोलत चतुर सयानि।
सूरदास प्रभु माखन के मिस प्रेम प्रीति चित ठानी॥