भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मोको कहां / कबीर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: रचनाकार: कबीर Category:कविताएँ Category:कबीर ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* मोको कहां ढूढें...)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[कबीर]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:कबीर]]
+
|रचनाकार=कबीर
 
+
}}
 
+
<poem>
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
+
  
 
मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे ।
 
मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे ।
 +
  
 
ना मैं बकरी ना मैं भेडी ना मैं छुरी गंडास मे ।
 
ना मैं बकरी ना मैं भेडी ना मैं छुरी गंडास मे ।
पंक्ति 21: पंक्ति 21:
  
 
मै तो रहौं सहर के बाहर मेरी पुरी मवास मे
 
मै तो रहौं सहर के बाहर मेरी पुरी मवास मे
 +
  
 
कहै कबीर सुनो भाई साधो सब सांसो की सांस मे ॥
 
कहै कबीर सुनो भाई साधो सब सांसो की सांस मे ॥

13:17, 7 जुलाई 2013 के समय का अवतरण


मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे ।


ना मैं बकरी ना मैं भेडी ना मैं छुरी गंडास मे ।

नही खाल में नही पूंछ में ना हड्डी ना मांस मे ॥


ना मै देवल ना मै मसजिद ना काबे कैलाश मे ।

ना तो कोनी क्रिया-कर्म मे नही जोग-बैराग मे ॥


खोजी होय तुरंतै मिलिहौं पल भर की तलास मे

मै तो रहौं सहर के बाहर मेरी पुरी मवास मे


कहै कबीर सुनो भाई साधो सब सांसो की सांस मे ॥