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"केशवदास" के अवतरणों में अंतर

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संक्षिप्त परिचय
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====प्रतिनिधि संग्रह====
केशवदास का सम्बन्ध उस युग से है जिसे साहित्य और अन्य कलाओं के विकास एवं सांस्कृतिक सामंजस्य की दृष्टि से मध्यकाल के इतिहास में स्वर्णयुग कहा जाता है।
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* '''[[रामचंद्रिका / केशवदास]]'''
 
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====प्रतिनिधि रचनाएँ====
केशवदास का जन्म भारद्वाज गोत्रीय सना ब्राह्मणों के वंश में हुआ। इनको 'मिश्र' कहा जाता है। अपनी कृति रामचन्द्रिका के आरंभ में सना जाति के विषय में उन्होंने कई पंक्तियां कही हैं।
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* [['केसव' चौंकति सी चितवै / केशवदास]]
 
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* [[किधौं मुख कमल ये कमला की ज्योति होति / केशवदास]]
सना जाति गुना है जगसिद्ध सुद्ध सुभाऊ
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* [[प्रथम सकल सुचि मज्जन अमल बास / केशवदास]]
प्रकट सकल सनोढियनि के प्रथम पूजे पाई
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* [['केशव' सूधो विलोचन सूधी / केशवदास]]
 
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* [[स्वयम्वर-कथा (रामचन्द्रिका से) / केशवदास]]
भूदेव सनाढयन के पद मांडो, तथा सना पूजा अद्य आद्यदारी आदि। इन उक्तियों से प्रकट होता है कि केशवदास जी किस जाति में पैदा हुए थे।
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* [[जौं हौं कहौं रहिए तौ / केशवदास]]
 
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* [[चंचल न हूजै नाथ / केशवदास]]
 
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* [[कैटभ सो  / केशवदास]]
 
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जन्मतिथि
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केशवदास जी ने अपनी तिथि के बारे में कुछ भी नहीं लिखा है। विभिन्न आधारों पर विद्वानों ने केशवदास जी की जन्म - तिथि निश्चित करने का प्रयास किया है। इस सम्बन्ध में विभिन्न मतों की सारिणी निम्नलिखित है:
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विद्वान उनके अनुसार जन्मतिथि<br>
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शिवसिं सेंगर संवत् १६२४ वि०<br>
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ग्रियर्सन संवत १६३६ वि०<br>
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पं० रामचन्द्र शुक्ल संवत १६१२ वि०<br>
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डा० रामकुमार वर्मा संवत १६१२ वि०<br>
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मिश्रबन्धु () संवत १६१२ वि०<br>
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मिश्रबन्धु (ख) संवत १६०८ वि०<br>
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गणेश प्रसाद द्विवेदी संवत १६०८ वि०<br>
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लाला भगवानदी संवत १६१८ वि०<br>
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गौरी शंकर द्विवेदी संवत १६१८ वि०<br>
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डा० किरणचन्द्र शर्मा संवत १६१८ वि०<br>
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डा० विनयपाल सिंह संवत १६१८ वि०<br><br>
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विभिन्न मतों के बावजूद संवत् १६१८ को केशव की जन्मतिथि माना जा सकता है। रतनबावनी केशवदास जी की प्रथम रचना और उसका रचना काल सं० १६३८ वि० के लगभग है। इस प्रकार बीस वर्ष की अवस्था में केशव ने 'रतनबावनी' रचना की तथा तीस वर्ष की अवस्था में रसिकप्रिया की रचना की। अतः केशवदास जी की जन्म - तिथि सं० १६१८ वि० मानना चाहिए। इस मत का पोषण श्री गौरीशंकर द्विवेदी को उनके वंशघरों से प्राप्त एक दोहे से भी होता है:
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संवत् द्वादश षट् सुभग, सोदह से मधुमास।<br>
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तब कवि केसव को जनम, नगर आड़छे वास।।<br>
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सुकवि सरोज
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केशव का जन्म स्थान :
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केशव का जन्म वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य के अंतर्गत ओरछा नगर में हुआ था। ओरछा के व्यासपुर मोहल्ले में उनके अवशेष मिलते हैं। ओरछा के महत्व और उसकी स्थिति के सम्बन्ध में केशव ने स्वयं अनेक भावनात्मक कथन कहे हैं। जिनसे उनका स्वदेश प्रेम झलकता है।
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केशव ने विधिवत् ग्राहस्थ जीवन का निर्वाह किया। वंश वृक्ष के अनुसार उनके पाँच पुत्र थे। अन्तः साक्ष्य के अनुसार केशव की पत्नी 'विज्ञानगीता' की रचना के समय तक जीवित थीं। 'विज्ञानगीता' में इसका उल्लेख इस प्रकार है:
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वृत्ति दई पुरुखानि को, देऊ बालनि आसु।<br>
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मोहि आपनो जानि के गंगा तट देउ बास।।<br>
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वृत्ति दई, पदवी दई, दूरि करो दु:ख त्रास।<br>
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जाइ करो सकलत्र श्री गंगातट बस बास।।<br>
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10:15, 15 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

केशवदास
Keahavdas..png
जन्म 1555
निधन 1617
उपनाम
जन्म स्थान ओरछा, मध्यप्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
कवि प्रिया, रसिक प्रिया, रामचंद्रिका, वीरसिंह देव चरित, विज्ञान गीता, रतन बाबनी और जहांगीर जस चंद्रिका।
विविध
जीवन परिचय
केशवदास / परिचय
कविता कोश पता
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प्रतिनिधि रचनाएँ