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"पुण्य फलीभूत हुआ / अमरनाथ श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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स्वाद तो गया<br><br>
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बंद खिड़कियाँ बाहर की सोचें कितना<br>
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सीढ़ियाँ बताती है घुटनों की सीमा  
अपनी सुविधा से है <br>
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मुझसे तो ऊँची है
आँख में दया<br><br>
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डाल पर बया  
 
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सीढ़ियाँ बताती है घुटनों की सीमा<br>
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मुझसे तो ऊँची है <br>
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डाल पर बया<br>
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23:50, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

पुण्य फलीभूत हुआ कल्प है नया
सोने की जीभ मिली
स्वाद तो गया

छाया के आदी हैं गमलों के पौधे
जीवन के मंत्र हुए सुलह और सौदे
अपना जड़ भूल गई
द्वार की जया

हवा और पानी का अनुकूलन इतना
बंद खिड़कियाँ बाहर की सोचें कितना
अपनी सुविधा से है
आँख में दया

मंज़िल दर मंज़िल है एक ज़हर धीमा
सीढ़ियाँ बताती है घुटनों की सीमा
मुझसे तो ऊँची है
डाल पर बया