भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उसे देखा / लाल्टू" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाल्टू |संग्रह= }} खिलने को जन्मा<br> दिन<br> मुरझाता<br> मैं...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <poem> | ||
+ | खिलने को जन्मा | ||
+ | दिन | ||
+ | मुरझाता | ||
+ | मैंने देखा | ||
+ | उसे देखा | ||
+ | दिन | ||
+ | खिलने को जन्मा | ||
+ | दिन जन्मा | ||
+ | मैं एक बार फिर जन्मा | ||
+ | उसे देखा | ||
+ | देखा चराचर | ||
+ | खिल रहे | ||
+ | अपने-अपने दुखों में बराबर | ||
+ | दिन खिलता | ||
+ | रोता | ||
+ | मैंने देखा | ||
− | + | दिन | |
− | दिन | + | खिलने को जन्मा |
− | + | </poem> | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | खिलने को जन्मा | + | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + |
13:02, 24 मई 2010 के समय का अवतरण
खिलने को जन्मा
दिन
मुरझाता
मैंने देखा
उसे देखा
दिन
खिलने को जन्मा
दिन जन्मा
मैं एक बार फिर जन्मा
उसे देखा
देखा चराचर
खिल रहे
अपने-अपने दुखों में बराबर
दिन खिलता
रोता
मैंने देखा
दिन
खिलने को जन्मा