भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गुड़िया-3 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) |
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया | |संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया | ||
}} | }} | ||
− | {{KKCatKavita}}<poem> | + | {{KKCatKavita}}<poem>तुम आई हो |
− | + | किसी अन्य लोक से | |
− | + | बन कर सुंदर-सी गुडिय़ा | |
− | + | जब भी देखता हूं- | |
− | + | पाता हूं तुम्हें | |
− | + | मासूम-सी! | |
− | अब | + | अब बचपन जा चुका |
− | + | कहां छुपा सकता हूं तुम्हें - | |
+ | सिवाय मन के! | ||
</poem> | </poem> |
06:22, 16 मई 2013 के समय का अवतरण
तुम आई हो
किसी अन्य लोक से
बन कर सुंदर-सी गुडिय़ा
जब भी देखता हूं-
पाता हूं तुम्हें
मासूम-सी!
अब बचपन जा चुका
कहां छुपा सकता हूं तुम्हें -
सिवाय मन के!