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"हृदय का सौंदर्य / जयशंकर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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नदी की विस्तृत वेला शान्त,
 
नदी की विस्तृत वेला शान्त,
 
 
अरुण मंडल का स्वर्ण विलास;
 
अरुण मंडल का स्वर्ण विलास;
 
 
निशा का नीरव चन्द्र-विनोद,
 
निशा का नीरव चन्द्र-विनोद,
 
 
कुसुम का हँसते हुए विकास।
 
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एक से एक मनोहर दृश्य,
 
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प्रकृति की क्रीड़ा के सब छंद;
 
प्रकृति की क्रीड़ा के सब छंद;
 
 
सृष्टि में सब कुछ हैं अभिराम,
 
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सभी में हैं उन्नति या ह्रास।
 
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बना लो अपना हृदय प्रशान्त,
 
बना लो अपना हृदय प्रशान्त,
 
 
तनिक तब देखो वह सौन्दर्य;
 
तनिक तब देखो वह सौन्दर्य;
 
 
चन्द्रिका से उज्जवल आलोक,
 
चन्द्रिका से उज्जवल आलोक,
 
 
मल्लिका-सा मोहन मृदुहास।
 
मल्लिका-सा मोहन मृदुहास।
 
  
 
अरुण हो सकल विश्व अनुराग
 
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करुण हो निर्दय मानव चित्त;
 
करुण हो निर्दय मानव चित्त;
 
 
उठे मधु लहरी मानस में
 
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कूल पर मलयज का हो वास।
 
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00:27, 20 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

नदी की विस्तृत वेला शान्त,
अरुण मंडल का स्वर्ण विलास;
निशा का नीरव चन्द्र-विनोद,
कुसुम का हँसते हुए विकास।

एक से एक मनोहर दृश्य,
प्रकृति की क्रीड़ा के सब छंद;
सृष्टि में सब कुछ हैं अभिराम,
सभी में हैं उन्नति या ह्रास।

बना लो अपना हृदय प्रशान्त,
तनिक तब देखो वह सौन्दर्य;
चन्द्रिका से उज्जवल आलोक,
मल्लिका-सा मोहन मृदुहास।

अरुण हो सकल विश्व अनुराग
करुण हो निर्दय मानव चित्त;
उठे मधु लहरी मानस में
कूल पर मलयज का हो वास।