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"स्मृति / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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दीवार की खाल खुरच देता हूँ
 
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जहाँ कभी लिखा गया था
 
जहाँ कभी लिखा गया था
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तेरा नाम
  
तेरा नाम
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22:24, 9 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

धीरे से मैं
दीवार की खाल खुरच देता हूँ
जहाँ कभी लिखा गया था
तेरा नाम