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"अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले / इब्ने इंशा" के अवतरणों में अंतर
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− | चल दिये उठके सू-ए-शहर-ए-वफ़ा कू-ए-हबीब, | + | चल दिये उठके सू-ए-शहर-ए-वफ़ा कू-ए-हबीब, |
− | पूछ लेना था किसी ख़ाक बसर से पहले| | + | पूछ लेना था किसी ख़ाक बसर से पहले| |
− | इश्क़ पहले भी किया हिज्र का ग़म भी देखा, | + | इश्क़ पहले भी किया हिज्र का ग़म भी देखा, |
− | इतने तड़पे हैं न घबराये न तरसे पहले| | + | इतने तड़पे हैं न घबराये न तरसे पहले| |
− | जी बहलता ही नहीं अब कोई सअत कोई पल, | + | जी बहलता ही नहीं अब कोई सअत कोई पल, |
− | रात ढलती ही नहीं चार पहर से पहले| | + | रात ढलती ही नहीं चार पहर से पहले| |
− | हम किसी दर पे न ठिठके न कहीं दस्तक दी, | + | हम किसी दर पे न ठिठके न कहीं दस्तक दी, |
− | सैकड़ों दर थे मेरी जां तेरे दर से पहले| | + | सैकड़ों दर थे मेरी जां तेरे दर से पहले| |
− | चाँद से आँख मिली जी का उजाला जागा, | + | चाँद से आँख मिली जी का उजाला जागा, |
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18:56, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले|
दश्त पड़ता है मियां इश्क़ में घर से पहले|
चल दिये उठके सू-ए-शहर-ए-वफ़ा कू-ए-हबीब,
पूछ लेना था किसी ख़ाक बसर से पहले|
इश्क़ पहले भी किया हिज्र का ग़म भी देखा,
इतने तड़पे हैं न घबराये न तरसे पहले|
जी बहलता ही नहीं अब कोई सअत कोई पल,
रात ढलती ही नहीं चार पहर से पहले|
हम किसी दर पे न ठिठके न कहीं दस्तक दी,
सैकड़ों दर थे मेरी जां तेरे दर से पहले|
चाँद से आँख मिली जी का उजाला जागा,
हमको सौ बार हुई सुबह सहर से पहले|