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कुछ पल देखा | कुछ पल देखा | ||
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आसावरी थम गई | आसावरी थम गई | ||
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मेरे अन्तर्मन | मेरे अन्तर्मन | ||
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न जाने क्यों तुम में | न जाने क्यों तुम में | ||
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एक अहेरी प्रभाव रहता है | एक अहेरी प्रभाव रहता है | ||
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00:00, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
मैंने भोर की धूप को
कुछ पल देखा
फिर उसके गुलाब झर गए
आसावरी थम गई
मेरे अन्तर्मन
न जाने क्यों तुम में
एक अहेरी प्रभाव रहता है