भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रेम / नन्दकिशोर नवल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= नन्दकिशोर नवल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
मेरे प्राणों के शिखरज्योतिर्मय हो रहे हैं,
+
मेरे प्राणों के शिखर ज्योतिर्मय हो रहे हैं,
 
मेरे मन के आम्रवन में मलयपवन का संचार हो रहा है,
 
मेरे मन के आम्रवन में मलयपवन का संचार हो रहा है,
 
मेरे अन्तर के शालिक्षेत्र पर चन्दा का अमृत बरस रहा है,
 
मेरे अन्तर के शालिक्षेत्र पर चन्दा का अमृत बरस रहा है,
पंक्ति 12: पंक्ति 12:
 
मेरी चेतना  का क्षितिज परिधान बदल रहा है,
 
मेरी चेतना  का क्षितिज परिधान बदल रहा है,
 
मेरे मानसलोक में एक अपर लोक से किरणें आ रही हैं
 
मेरे मानसलोक में एक अपर लोक से किरणें आ रही हैं
कुआ भीतर की पपड़ियाँ तोड़कर
+
क्या भीतर की पपड़ियाँ तोड़कर
 
तुम निकल रहे हो,
 
तुम निकल रहे हो,
 
प्रेम ?
 
प्रेम ?
 
</poem>
 
</poem>

12:32, 20 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

मेरे प्राणों के शिखर ज्योतिर्मय हो रहे हैं,
मेरे मन के आम्रवन में मलयपवन का संचार हो रहा है,
मेरे अन्तर के शालिक्षेत्र पर चन्दा का अमृत बरस रहा है,
मेरे हृदय की डाली में कोंपलें फूट रही हैं,
मेरी चेतना का क्षितिज परिधान बदल रहा है,
मेरे मानसलोक में एक अपर लोक से किरणें आ रही हैं
क्या भीतर की पपड़ियाँ तोड़कर
तुम निकल रहे हो,
प्रेम ?