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फिंके हुए सेब / ओएनवी कुरुप
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06:40, 26 सितम्बर 2013
<poem>
हम कश्मीर में हैं ।
हमने देखा
बच्चे कैसे
बेच्र
बेच
रहे हैं सेब
अवन्तीपुरम् के रास्ते में ।
अनिल जनविजय
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