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"नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर

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नफ़स-नफ़स कदम-कदम
+
नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम
बस एक फिक्र दम ब दम
+
बस एक फ़िक्र दम--दम
 
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
 
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब दर सवाल है के इंकलाब चाहिए
+
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इंकलाब जिन्दाबाद,  
+
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,  
जिन्दाबाद इंकलाब -२
+
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब - २
जहाँ आवाम के खिलाफ साजिशें हो शान से
+
जहाँ आवाम के ख़िलाफ़ साज़िशें हो शान से
 
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
 
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
जहाँ पे लब्जे अमन एक खौफनाक राज़ हो
+
जहाँ पे लब्ज़े-अमन एक ख़ौफ़नाक राज़ हो
 
जहाँ कबूतरों का सरपरस्त एक बाज़ हो
 
जहाँ कबूतरों का सरपरस्त एक बाज़ हो
 
वहाँ न चुप रहेंगे हम  
 
वहाँ न चुप रहेंगे हम  
 
कहेंगे हाँ कहेंगे हम
 
कहेंगे हाँ कहेंगे हम
हमारा हक हमारा हक हमें जनाब चाहिए
+
हमारा हक़ हमारा हक़ हमें जनाब चाहिए
जवाब दर सवाल है के इंकलाब चाहिए
+
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इंकलाब जिन्दाबाद,  
+
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,  
इंकलाब इंकलाब -२
+
इन्क़लाब इन्क़लाब -२
  
 
यक़ीन आँख मूँद कर किया था जिनको जानकर
 
यक़ीन आँख मूँद कर किया था जिनको जानकर
 
वही हमारी राह में खड़े हैं सीना तान कर
 
वही हमारी राह में खड़े हैं सीना तान कर
उन्ही की सरहदों में कैद हैं हमारी बोलियाँ
+
उन्ही की सरहदों में क़ैद हैं हमारी बोलियाँ
 
वही हमारी थाल में परस रहे हैं गोलियाँ
 
वही हमारी थाल में परस रहे हैं गोलियाँ
 
जो इनका भेद खोल दे  
 
जो इनका भेद खोल दे  
 
हर एक बात बोल दे
 
हर एक बात बोल दे
हमारे हाथ में वही खुली किताब चाहिए
+
हमारे हाथ में वही खुली क़िताब चाहिए
 
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
 
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब दर सवाल है के इंकलाब चाहिए
+
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इंकलाब जिन्दाबाद,  
+
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,  
जिन्दाबाद इंकलाब
+
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
  
वतन के नाम पर खुशी से जो हुए हैं बेवतन
+
वतन के नाम पर ख़ुशी से जो हुए हैं बेवतन
उन्ही की आह बेअसर उन्ही की लाश बेकफान
+
उन्ही की आह बेअसर उन्ही की लाश बेकफ़न
 
लहू पसीना बेचकर जो पेट तक न भर सके
 
लहू पसीना बेचकर जो पेट तक न भर सके
करे तो क्या करें भला जो जी सके न मर सके
+
करें तो क्या करें भला जो जी सके न मर सके
स्याह ज़िंदगी के नाम  
+
स्याह ज़िन्दगी के नाम  
 
जिनकी हर सुबह और शाम
 
जिनकी हर सुबह और शाम
उनके आसमान को सुर्ख आफ़ताब चाहिए
+
उनके आसमान को सुर्ख़ आफ़ताब चाहिए
 
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
 
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब दर सवाल है के इंकलाब चाहिए
+
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इंकलाब जिन्दाबाद,  
+
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,  
जिन्दाबाद इंकलाब -2
+
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब -2
  
 
तसल्लियों के इतने साल बाद अपने हाल पर
 
तसल्लियों के इतने साल बाद अपने हाल पर
 
निगाह डाल सोच और सोचकर सवाल कर
 
निगाह डाल सोच और सोचकर सवाल कर
किधर गए वो वायदे सुखों के ख्वाब क्या हुए
+
किधर गए वो वायदे सुखों के ख़्वाब क्या हुए
तुझे था जिनका इंतज़ार वो जवाब क्या हुए
+
तुझे था जिनका इन्तज़ार वो जवाब क्या हुए
 
तू इनकी झूठी बात पर  
 
तू इनकी झूठी बात पर  
 
ना और ऐतबार कर
 
ना और ऐतबार कर
की तुझको साँस साँस का सही हिसाब चाहिए
+
के तुझको साँस-साँस का सही हिसाब चाहिए
 
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
 
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
नफ़स-नफ़स कदम-कदम बस एक फिक्र दम ब दम
+
नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम बस एक फ़िक्र दम--दम
जवाब दर सवाल है के इंकलाब चाहिए
+
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्कलाब ज़िन्दाबाद,  
+
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,  
ज़िन्दाबाद इन्कलाब
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ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
  
 
नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम
 
नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम
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इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
 
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
 
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
 
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
जहाँ आवाम के खिलाफ साजिशें हों शान से  
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जहाँ आवाम के ख़िलाफ साज़िशें हों शान से  
 
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से  
 
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से  
वहाँ न चुप रहेंगे हम,कहेंगे हाँ कहेंगे हम
+
वहाँ न चुप रहेंगे हम, कहेंगे हाँ कहेंगे हम
हमारा हक हमारा हक हमें जनाब चाहिए
+
हमारा हक़ हमारा हक़ हमें जनाब चाहिए
 
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
 
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
 
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
 
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
 
 
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11:27, 13 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम
बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब - २
जहाँ आवाम के ख़िलाफ़ साज़िशें हो शान से
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
जहाँ पे लब्ज़े-अमन एक ख़ौफ़नाक राज़ हो
जहाँ कबूतरों का सरपरस्त एक बाज़ हो
वहाँ न चुप रहेंगे हम
कहेंगे हाँ कहेंगे हम
हमारा हक़ हमारा हक़ हमें जनाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
इन्क़लाब इन्क़लाब -२

यक़ीन आँख मूँद कर किया था जिनको जानकर
वही हमारी राह में खड़े हैं सीना तान कर
उन्ही की सरहदों में क़ैद हैं हमारी बोलियाँ
वही हमारी थाल में परस रहे हैं गोलियाँ
जो इनका भेद खोल दे
हर एक बात बोल दे
हमारे हाथ में वही खुली क़िताब चाहिए
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब

वतन के नाम पर ख़ुशी से जो हुए हैं बेवतन
उन्ही की आह बेअसर उन्ही की लाश बेकफ़न
लहू पसीना बेचकर जो पेट तक न भर सके
करें तो क्या करें भला जो जी सके न मर सके
स्याह ज़िन्दगी के नाम
जिनकी हर सुबह और शाम
उनके आसमान को सुर्ख़ आफ़ताब चाहिए
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब -2

तसल्लियों के इतने साल बाद अपने हाल पर
निगाह डाल सोच और सोचकर सवाल कर
किधर गए वो वायदे सुखों के ख़्वाब क्या हुए
तुझे था जिनका इन्तज़ार वो जवाब क्या हुए
तू इनकी झूठी बात पर
ना और ऐतबार कर
के तुझको साँस-साँस का सही हिसाब चाहिए
घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए
नफ़स-नफ़स क़दम-क़दम बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद,
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब

नफ़स-नफ़स, क़दम-क़दम
बस एक फ़िक्र दम-ब-दम
घिरे हैं हम सवाल से, हमें जवाब चाहिए
जवाब दर-सवाल है कि इन्क़लाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब
जहाँ आवाम के ख़िलाफ साज़िशें हों शान से
जहाँ पे बेगुनाह हाथ धो रहे हों जान से
वहाँ न चुप रहेंगे हम, कहेंगे हाँ कहेंगे हम
हमारा हक़ हमारा हक़ हमें जनाब चाहिए
इन्क़लाब ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद इन्क़लाब