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<poem>हत्या कांई | <poem>हत्या कांई |
15:58, 21 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
हत्या कांई
फगत
भ्रूण, सरीर अर
चरित्र री’ज हुवै
तो
ब्यांव हुयां पछै
छोरी आपरो होवणो
परिवार सारू
होमै,
आपरो आपो, सुपना
अर संभावना रै
खत्म हुवणै नैं
कांई नांव देस्यो?