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"पींपळ / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर

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पर करै जद कद ओळयूं
 
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पीरै रै पींपळ री
 
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खेलता जका टींगर
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इण रै गट्टै मांड’र चिरभर
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बै हुग्या अबै जोध जवान मोटयार
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पण पींपळ सारू बारै मन में
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हबोळा खावै बो ही हेत
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बवै परस’र इण नै जको बायरो
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कर दै अणसारां नै निरोग
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इण री सुखी लकड़यां पाळै
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चत्रण री गरज
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मर ज्यावै जद कोई
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पुनवान मिनख
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दिरीजै इणरी लकड़यां स्यूं दाग
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ओ परतख धरम
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कयो गीता में किसन
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रूखां में मैं पीपळ !
 
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22:27, 28 नवम्बर 2013 के समय का अवतरण

ओ है गांव में
सगळां स्यूं बडेरो पींपल
बता सकता इण री उमर
कोनी रया जींवता बै मिनख,
चली गई इण रै मुंडागै स्यूं
कांईं ठा कती’न कती पीढयां
ओ अनासगत अवधूत
इण रै डीन परां निराई
पंखेरूआं रा आळा
जका उड ज्यावै सूरज री उगाळी सागै
चुगण नै दाणा
छोड़ ज्यावै इंडा’र बचिया
इण रै भरोसै
बै समझै इण नै मायत
मझ दोपारां जद
सूरज बरसावै लाय
चालै बळती लूआं
ओ बिछादै आप री छयां
धरती पर
बैठ ज्यावै लेण खातर बिसांई
थाक्योड़ा बटाऊ
सारै जुगाळी बैठा डांगरा
फिरै अचपळी सिरकबिलायां
कणाई ऊपर’र कणाई नीचै
करै दादै पींपळ री पग चंपी
 आपरै कंवलै पंज्यां स्यूं’र
खावै भरपेट पाक्योड़ी पींपळयां
कणाई देख’र घुमड़ती कळायण
आ’र बैठ ज्या टोखी पर मोरिया
करै टहुका मेह आवो मह आवो
सींचै इण नै उन्यालै में
गांव री कंवारी डावड़यां
मानै इणनै साख्यात संकर
करै मनौती
मिलै म्हानै जोड़ी रो वर,
चली ज्यावै बै
 परणीज्यां पछै आप रै सासरै
पर करै जद कद ओळयूं
पीरै रै पींपळ री
खेलता जका टींगर
इण रै गट्टै मांड’र चिरभर
बै हुग्या अबै जोध जवान मोटयार
पण पींपळ सारू बारै मन में
हबोळा खावै बो ही हेत
बवै परस’र इण नै जको बायरो
कर दै अणसारां नै निरोग
इण री सुखी लकड़यां पाळै
चत्रण री गरज
मर ज्यावै जद कोई
पुनवान मिनख
दिरीजै इणरी लकड़यां स्यूं दाग
ओ परतख धरम
कयो गीता में किसन
रूखां में मैं पीपळ !